Friday, October 7, 2011

सोशल नेटवकिंüग साईट्स का संभलकर करें प्रयोग

 career


भले ही सोशल नेटवकिंüग का क्रेजी आज का युवा इंटरनेट के मामलों में काफी समझदार हो गया हो लेकिन उसे ये नहीं भूलना चाहिए कि एक छोटी सी भूल उसका बना बनाया खेल बिगाड सकती है। फेसबुक के चक्कर में मर्डर, धमकी और किड्नेपिंग के अब कई मामले सामने आ चुके हैं। सोशल नेटवकिंüग में खतरे हैं तो क्या इसका यह मतलब नहीं है कि हमें इन साइट्स को ब्लॉक कर देना चाहिए या हमें इन साइट्स का प्रयोग ही नहीं करना चाहिए। ऎसा बिल्कुल भी नहीं है, कि सोशल नेटवकिंüग साइट पूरी तरह से सुरक्षित है। मगर केवल तब तक जब तक आप इसका सुरक्षित ढंग से प्रयोग करें। इसका रखें ध्यान - हमेशा अपनी पूरी जानकारी न दें।
- अपनी पर्सनल फोटो आदि को अपलोड न करें।
- अकसर नाबालिक बच्चे अपनी गलत जानकारी देकर इन अकाउंट्स को खोल लेते हैं। यदि आपके किशोर और किशोरियां भी इसी तरह के अकाउंट बना रहे हैं तो उन्हें ऎसा करने से रोकें।
- सोशल नेटवकिंüग के जरिए बने दोस्तों को अपनी निजी जीवन की जानकारी न दें।
- ध्यान रहे कि सोशल नेटवकिंüग साइट्स नए लोगों से मिलने और सभी से जु़डे रहने का एक माध्यम है। इसे अपनी जिंदगी का हिस्सा न बनने दें।
- आपके अपने लोग आपके करीब हैं। इन साइट्स का प्रयोग केवल आप नए लोगों से जु़डने या अपनी नेटवकिंüग के दायरे को बढ़ाने के लिए करें। अपनी निजी जिंदगी को दूसरों पर जाहिर न होने दें। इसके लाभ - आप आसानी से नए लोगों को दोस्त बना सकते हैं। बस केवल एक फ्रेंड रि`ेस्ट एक्सेप्ट करते ही नई दोस्ती का दौर शुरू।
- सोशल नेटवकिंüग आपको अकेलेपन का शिकार नहीं होने देता है।
- आप हमेशा व्यस्त रहते हैं। - आपको इस बात का अहसास होता है कि कोई आपकी बात सुन रहा है। आपको दोस्तों की कमी महसूस नहीं होती है।
- कई बार सोशल नेटवकिंüग आपके बिजनेस को भी लाभ पहुँचा सकता है। नुकसान - सोशल नेटवकिंüग एक प्रकार की लत है। आप इसके आदी होते चले जाते हैं।
- यह मानसिक और भावनात्मक रूप से परेशान कर सकता है।
- आपके लिए इन साइट्स पर समय बिताना जिंदगी का महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाता है। आप इसे इतनी ज्यादा प्राथमिकता देने लगते हैं कि आप अपने जीवन की अन्य महत्वपूर्ण चीजों को भूल जाते हैं।
- सबसे ब़डी चीज ये साइट्स आपके बहुमूल्य समय को बर्बाद करती हैं क्योंकि आप इन साइट्स पर बहुत समय तक फंसे रहते हैं।
- अकसर इन साइट्स में आप अपने आपको बेस्ट और परफेक्ट दिखाने के लिए झूठी जानकारी देते हैं। जो कि आपके व्यवहार और व्यक्तित्व को प्रभावित भी कर सकती है। कई बार इन साइट्स के कारण कुछ लोगों को डिप्रेशन जैसी समस्या भी होने लगती है।
- आपका डेटा और फोटोग्राफ का प्रयोग गलत कार्य के लिए भी किया जा सकता है।

Thursday, October 6, 2011

अनोखा भारत

जिस देश में हजारों लोग हर रात भूखे सोते हैं उसी देश में अपराधी आराम से तीन वक्त का खाना पेट भर के खाते हैं और साथ ही उनके स्वास्थ का भी पूरा ख्याल रखा जाता है ये वो लोग है जो खुले समाज में तमाम तरह के अपराधों को अंजाम देते है आखिर ये इतना दुर्भाग्यपूर्ण क्यूँ है की जहाँ एक और तो वो तबका है जो सारे दिन कड़ी मेहनत करता है और बड़ी मुस्किल से दो वक्त का खाना खा पाता है वही सरकार उन लोगों का पूरा ख्याल रखती है जो समाज में रोज नये अपराधों को जन्म देतें हैं साथ ही उनके मनोरंजन, खेल साथ ही उनकी पढाई-लिखाई हर चीज का पूरा ख्याल रखती है 

Tuesday, October 4, 2011

''हम लोग'' के 27 साल

देश का पहला हिंदी धारावाहिक 'हम लोग' सात जुलाई 1984  को शुरू हुआ और इसके 156  एपिसोड प्रसारित हुए. यह पारिवारिक धारावाहिक लोगों को खूब पसंद आया. इसे परिवार नियोजन के मकसद से बनाया गया था. लेकिन बाद में इस धारावाहिक ने समाज की तमाम कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई. फिर भी लोगों ने इस धारावाहिक को खूब पसंद किया. आज इस धारावाहिक के कई कलाकार हमारे बिच नही हैं. 
 एक शानदार लेखक मनोहर श्याम जोशी, एक अदभूत निर्देशक पी.कुमार वासुदेव और बड़ी स्टार कास्ट ये सब मिलकर एक बढिया टीम बनी थी. तब दूरदर्शन का एकमात्र उद्देश्य लोगों को शिक्षित करना था. परन्तु आज वर्तमान में वक्त के साथ साथ दूरदर्शन का उद्देश्य भी बदल गया है. भूमंडालीयकरण के इस दौर में दूरदर्शन में भी बाजारवाद का असर साफ दिखाई दे रहा है. देश के लोगों को शिक्षित करने के स्थान पर अब दूरदर्शन का एक मात्र उदेश्य अपनी टीआरपी बदना मात्र रह गया है. 

Monday, March 14, 2011

छात्र आन्दोलन के ये सब से बुरे दिन हैं| छात्र आन्दोलनों का यह विचलन क्यों हैं अगर इसका विचार करें तो हमें इसकी जड़ें हमारी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था में दिखाई देगी| छात्र राजनीती के मूल्यों का स्थान आदर्श विहीनता ने ले लिया| कमोवेश समस्त  छात्र संगठन और छात्र नेता राजनितिक दलों की चेरी बन गये हैं| डी.एस.यू. के कोर ग्रुप की एक सदस्य बनोज्योत्सना का कहना हैं की बड़ी छात्र संघ पार्टियाँ जैसे ए.बी.वी.पी. या एन.एस.यू.आई. पार्टियाँ बीजेपी और कांग्रेस की शाखाएँ हैं जो इन राष्ट्रीय पार्टियों को मजबूती प्रदान करने और उनकी विचार धारा का प्रचार-प्रसार करना है| छात्र संघ के एजेंडा बभी अब राजनितिक पार्टियाँ तय कर रही हैं| 
  वहीं दूसरी ओर वाई.फॉर.ई. के अमीत जी का कहना है कि ये समूह किसी परिवर्तन का वाहन न बनकर अपनी ही पार्टी का साइनबोर्ड बनकर रह  गये हैं| इनकें सपने, आदर्श सब कुछ कहीं और तय होते हैं| छात्र संघ कि बदलती भूमिका और घटती प्रासंगिकता ने छात्रो के मन से उनके प्रति सहान-भूति खत्म कर दी है| छात्र संघ चुनावों को उन मुख्मंत्रियों ने भी प्रतिबंधित कर रखा है जो छात्र आन्दोलन से ही जन्में हैं| ऐसा लगता है कि छात्र संघ अब आम छात्रों कि शैक्षणिक और सांस्कृतिक प्रतिभा के उन्नयन के माध्यम नहीं रहे| वे अराजक तत्वों और माफियाओं के अखाड़े बन गये हैं| इस बात को मानते हुए अमीत जी कहते है इसका कारण विश्वविद्यालयों में चुनाव न होना है| आगे वे कहते है क्या आप उम्मीद कर सकते हैं आज के नौजवान दुबारा किसी जयप्रकाश नारायण के आसन पर आहान पर दिल्ली कि कुर्सी पर बैठी मदांध सत्ता को सबक सिखा सकते हैं| 
  हमारा मानना है कि छात्र आन्दोलन के दिन तभी बहुरेंगे जब परिसरों में दलील राजनीति के बजाये छात्रों का स्वविवेक, उनके अपने मुद्दे, शिक्षा, बेरोजगारी, महंगाई के सवाल एक बार उनके बीच होंगे| छात्र राजनीति के वे सुनहरे दिन तभी लौटेंगे जब परिसरों से निकलने वाली आवाज़ ललकार बनेगी|       

Monday, January 10, 2011

रैन बसेरों का संकट

अभावग्रस्त समाज के लिए हाड़ कपाती ठण्ड मारक साबित होती है | वास्तव में हर मौसम परिवर्तन पर ठण्ड, लू और बाढ़ से मरने वालों का जो आंकड़ा खबरों में नजर आता है, उसके मूल में गरीबी होती है | गरीब आदमी पेट तो भर लेता है, लेकिन पेट ढक नही सकता | पिछले दिनों दिल्ली में निराश्रित लोगों का रैन बसेरा उजाड़े जाने की खबरें आने के बाद सुप्रीम कोर्ट को दखल देनी पड़ी थी | विडंवना है कि आज स्वार्थ मानवता पर भरी पड़ रहा है | चंद पैसों के लालच में कुछ लोग समाज के निचले पायदान पर खड़े लोगों की छत का सहारा छिनने से भी गुरेज नही करते | एक समय था जब जनता के दुःख-दर्द को समझने वाले राजा सर्द रातों में घूम-घूमकर अपनी प्रजा का हल पूछते थे | अभावग्रस्त लोगों को गर्म कपडे बांटते थे | सार्वजनिक स्थलों पर अलाव जलाने की व्यवस्था की जाती थी | लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि लोकतान्त्रिक सरकारों में वह संवेदनशीलता नहीं पाई जाती | वातानुकूलित घरों में रहने वाले नेता फुटपाथों में रहने वालों का दर्द क्या महसूस करेंगे ? आज जब संपूर्ण भारत में तापमान में गिरावट का दौर लगातार जरी है तो रैन बसेरों कि संख्या नगण्य ही नजर आती है | राज्य सरकारें व स्थानीय निकाय इस दृष्टी से सदा से संवेदनहीन नजर आतें हैं | यही वजह है कि हजारों लोग रेलवे व बस स्टेसनों में रात गुजारतें है | वास्तव में विकास के आंकड़ें के उछाल के पीछे का काला सच इन फुटपाथों में सोये लोगों को देखकर लगाया जा सकता है | यह बतातें हैं कि देश में अमीरी-गरीबी की खाई लगातार चौड़ी होती जा रही है | यह सरकार की लोककल्यान्कारी नीतियों का यथार्थ बताती प्रतीत होती है |

Saturday, January 8, 2011

खुद अपनी आँख से

उस दिन मैं राजीव चौक स्टेसन पर मेट्रो का इंतजार कर रहा था | तभी नजर पड़ी एक युवा जोड़े पर | मेट्रो का पहला कोच महिलाओं के लिए आरक्षित हैं | वह जोड़ा वहीँ पर खड़ा था | गार्ड लड़के से वहां से निकलने के लिए कह रहा था | मगर लड़की उसे वहां से जाने नहीं दे रही थी | गार्ड खिसियानी हंसी के साथ उनसे गुजारिश कर रहा था, मगर लड़की लगातार उससे बहस किये जा रही थी | आसपास खड़ी महिलाएं देख रहीं थीं | मगर कोई कुछ बोल नहीं रही थीं | मैंने उनसे पूछा - क्या बात हैं ? लड़की थोड़ी हैरान हुई, मगर कुछ नहीं बोली | गार्ड ने कहा - सर, मैं इनसे कह रहा हूं की यह कोच केवल महिलाओं का है | यह अपने साथ इस लड़के को उस कोच में ले जाना चाहती हैं | मैंने लड़की से कहा- जब यह आपको कह रहा है कि यह कोच केवल महिलाओं के लिए है तो आप क्यों नहीं इसकी बात मानती | लड़की ने जवाब दिया- आप अपना काम कीजिये | मैंने कहा- काम तो करूंगा, मगर यह भी बता दूँ कि आप गलत कर रहीं हैं ? लड़की बोली- क्या गलत है ? मैंने कहा- यह कोच महिलाओं का है, आप किसी पुरुष को उसमें ले जाना चाहती हैं | लड़की ने तपाक से कहा- यह मेरा बॉयफ्रेंड है | जब किसी और को ऐतराज नहीं है, तो आप क्यों बीच में पड़ रहे हैं | मैंने कहा- नियम-कानून भी तो कोई चीज है | अब लड़की का पारा चढ़ गया | बोली- इतनी बातें कह रहे हैं, आप है कौन ? मैंने कहा मै पत्रकार  हूं | अपना फर्ज समझकर आपको समझा रहा हूं | सरकार ने आपकी हिफाजत के लिए ही यह नियम बनाया है आपको उसका पालन काना चाहिए | लड़की ने कहा- यह तो बस मेरे साथ कोच में खड़ा रहेगा | मैंने कहा- अगर आप जैसी २० से ३० पर्सेंट लड़कियां भी अपने बॉयफ्रेंड को बातचीत के लिए महिलाओं के कोच में ले जाना शुरू कर दें तो फिर उस कोच का ओचित्य क्या रह जाएगा | तभी एक पुलिस वाला आ गया | मैंने उसे सारी बातें बताई| उसने लड़की से कहा- अपने बॉयफ्रेंड के साथ जाना है, तो जनरल कोच में चली जाओ, जी भर के बातें करना कौन रोकता है | काहे झमेला कर रही है ? तब लड़का-लड़की वहां से चल दिए | जाते-जाते लड़की अंग्रेजी में यह कहना नहीं भूली- छोटी मानसिकता है इनकी पता नहीं कब कब सुधरेंगे ? जाते-जाते पुलिस वाले ने एक बड़ी बात कही कि बुरा मत मानिये, चाहे कानून तोड़ने की बात हो या भ्रष्टाचार की, सबकी शुरुआत आम आदमी से होती है | अगर मैं इस लड़की को कानून तोड़ने के लिए गिरफ्तार कर लेता तो इसके घर वाले किसी अफसर या बड़े नेता से फोन करवा देते और मुझे छोड़ना पड़ता, बदनाम हम हो जाते | अगर आम आदमी सुधर जाए तो सब कुछ सुधर जाएगा | हम पहले सिस्टम से सुविधाओं की मांग करते हैं फिर उन्हीं का गलत इस्तेमाल करते हैं | उस लड़की ने समाज से यही मानसिकता ली है |   

Friday, January 7, 2011

सर्दी ने कराई बच्चों की छुट्टी

कड़ाके की सर्दी को देखते हुए दिल्ली सरकार ने पब्लिक, नगर निगम, दिल्ली सरकार, एनडीएमसी, और दिल्ली छावनी बोर्ड द्वारा संचालित सभी स्कूलों को ९ जनवरी तक बंद रखने का आदेश दिया है | दिल्ली सरकार का कहना है कि स्कूल बंद करने का यह आदेश सभी स्कूलों के लिए मानना अनिवार्य है | यह जानकारी दिल्ली के शिक्षा मंत्री अरविंदर सिंह लवली ने कहा है कि राजधानी में अत्यधिक सर्दी के कारण कई अभिभावकों और स्कुल प्रबंधन की ओर से स्कूलों की छुटियाँ करने के बारे में सरकार को अनुरोध मिले थे | इन अनुरोधों पर विचार करने के बाद ही सरकार ने स्कूल बंद करने का फैसला किया है | उन्होंने कहा है कि सभी स्कूलों के लिए यह आदेश मानना अनिवार्य है | सभियो तरह के सहायता प्राप्त ओर गैर-सहायता प्राप्त स्कूल अब १० जनवरी को ही खुलेंगे | उन्होंने बताया है कि दिल्ली में लगभग ११६५ सरकारी स्कूल, १५०० पुब्लिक स्कूल ओर लगभग २००० स्कूल दिल्ली नगर निगम के हैं | इसके अलावा ३८० सर्वोदय स्कूल हैं, जिनमे नर्सरी की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है | उन्होंने कहा है कि नर्सरी दाखिले के क्रम में शिक्षा के अधिकार से संबंधित शिकायत मिलने पर पुब्लिक स्कूलों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी | इसके अलावा केन्द्रीय विद्यालयों में प्राइमरी विंग के बच्चों की ९ जनवरी तक छुट्टी कर दी गई है | जब की सेकंडरी ओ सीनियर सेकंडरी क्लासों के बच्चों की परीक्षाएं तय शेड्यूल के मुताबिक ही होंगी | केन्द्रीय विधालय संगठन के दिल्ली रीजन के असिस्टेंट कमिश्नर वी.के. श्रीवास्तव ने कहा है कि स्टुडेंट्स की मोर्निग असेंबली बंद कर दी गई है ओर बच्चों को ग्राउंड में नहीं जाना पड़ेगा |
लवली जी सिर्फ ९ जनवरी से स्कूल खोलने से बच्चे इस सर्दी से नहीं बचने वाले है | सरकार ने जो स्कूल स्वेटर बाटें है वो यदि मुफ्त होते तो कुछ बात होत, पर सरकार ने उनके भी २५० रूपये लिए हैं | इतना ही सरकार को बच्चों की परवाह है तो उनको एक एक और स्वेटर देना चाहिए बिना कोई पैसा लिए हुए |

Thursday, January 6, 2011

लो, पकड़ा गया

चौताफा मचे भरीशोर के बाद आखिर एक बंदा पकड़ा ही गया ! लोगों ने समझा हो सकता है कोई टू जी स्पेक्ट्रमवाला बंदा ही पकड़ा गया हो | आखिर पौने दो लाख का घोटाला है | यह तमगा भी हासिल है जिस पर संसद का पूरा एक सत्र कुर्बान हो गया | ऐसा भी हमारे संसद के इतिहास में पहली बार हुआ | देखिये, इतिहास भी कैसे कैसे बनता है | बहरहाल, अगर उसी का कोई बंदा पकड़ा गया होगा तो सचमुच यह तो एक बड़ी उपलब्धि होगी | विपक्षवाले इतना हल्ला मचा रहे थे कि राजा को पकड़ो, कहीं राजा ही तो नहीं पकड़ा गया ? या फिर उसका कोई सहयोगी ? देखा तो राजा नहीं था और न ही उसका कोई सहयोगी !
फिर लगा कि कहीं सीडब्लूजी वाला तो कोई बंदा नहीं पकड़ा गया | अभी तक आफसर्नुमा कुछ बन्दे तो पकडे गये हैं और डर यह भी बना हुआ है कि कहीं कलमाड़ी जी ही न पकडे जाएँ ! बाप रे, कहीं वहीं तो नहीं ? देखा तो तसल्ली हुई, वे नहीं है | पर वहां घोटाले के लिए हटाए गये मुख्यमंत्री या किसी और के गिरफ्तार होने की बात तो दूर अभी तक कोई अफसर इस्तीफा देने तक को तैयार नहीं | तो यह तय था कि पकड़ा गया बंदा आदर्श घोटाले वाला तो बिलकुल भी नहीं था |
तो फिर कौन पकड़ा गया ? कहीं कर्णाटक का कोई खदान घोटालेवाला या फिर जमीन घोटालेवाला तो नहीं पकड़ा गया | हालाँकि भाजपा के उत्तर से लेकर दक्षिण तक कें मुख्यमंत्री जमीन घोटाले में फंसे हुए हैं फिर चाहे उत्तराखंड वाले निशंक हों या कर्णाटक वाले येदियुरप्पा जी, पर यह तो नहींहो सकता कि वे ही पकडे जाएँ | कांग्रेस वाले घोटालों में फंसने के बाद कम से कम अपने मुख्यमंत्रियों को हटा तो देते हैं | भाजपा वाले तो ये भी नहीं करते | येदियुरप्पा जी तो हटते-हट्टे फिर जम गए | अब तो उन्हें पार्टी अध्यक्ष की क्लीनचिट भी मिल गयी |  तो उनके पकडे जाने का तो सवाल ही नही | अवैध खनन वाले पकडे जएँतो तो सरकार ही गिर जाएगी | तो तय था कि उनमे से कोई नहीं होगा और सचमुच कोई नहीं था |
कहीं कोई आतंकवादी तो नहीं पकड़ा गया ? पर उनके पकडे जाने के बाद इतना हल्ला कहाँ मचता है | पर कहीं यह तो नहीं हो गया कि कोई हिन्दू टेरर वाला पकड़ा गया हो | आजकल दिग्गी राजा ने उनके खिलाफ अभियान वगैरह तो सब चला रखा है | पर देखो तो ऐसा कोई बंदा नहीं था | असीमानंद वगैरह तो सब पहले ही पकडे जा चुके हैं और अब किसी और  को पकड़ेगें तो संघ परिवार वाले हल्ला मचा देंगे | अभी भी कौन सा कम हल्ला मचाए हुए हैं |
तो घोटाले में शामिल रहा कोई बंदा नहीं पकड़ा गया ? कोई घोटालेबाज अफसर तो नहीं पकड़ा गया ? आजकल अफसर भी कोई छोटा-मोटा घोटाला नहीं करते | मघ्यप्रदेश के एक अफसर दंपति ने तो कुछ ही साल में कई सौ करोड़ का घोटाला कर डाला | अफसरों को लगता हो कि जब उनके नेता इतने बड़े-बड़े घोटाले कर रहें हैं तो वे ही क्यों पीछे रहें ? पर देखो तो पकडे जाने वाला बंदा कोई अफसर भी नहीं था | फिर इधर ठगबजी भी बहुत हो गई| दो-चार सौ करोड़ की ठगी करना तो जैसे ठगों का बाएँ हाथ का खेल हो गया है | अभी गुडगांव के सिटी बैंक में ही एक बंदा ने कई सौ करोड़ का चुना लगा दिया | खैर, वह तो पहले पकड़ा जा चुका है | पकड़ा गया बंदा कहीं वैसा कोई ठग तो नहीं है ? देखा तो वह ठग भी नहीं था |
अरे बाप रे, कहीं आरुषि का हत्यारा तो नहीं पकड़ा गया ? पर उस मामले में तो सीबीआई क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर रही है | आजकल सीबीआई अपराधियों को पकड़ने की बजाय धडाधर क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर रही है | फिर चाहे रुचिका प्रकरण हो, चाहे आरुषि प्रकरण | तो यह भी तय था कि पकड़ा गया बंदा न तो आरुषि का हत्यारा है न रुचिका मामले का आरोपी | तो फिर कौन पकड़ा गया ? कहीं कोई जमाखोर, कोई कालाबाजारिय तो नहीं पकड़ा गया | हो सकता है उसने प्याज की जमाखोरी कर रखी हो | मांग भी तो बहुत उठती है न कि जमाखोरों और कालाबाजारियों को पकड़ो | पर उन्हें तो कृषि मंत्री खुद ही हिंट देते रहते हैं कि अब प्याज जमा कर लो, अब चीनी कर लो | तो वे थोड़े ही पकडे जाएगें ! पर पकड़ा तो कोई जरुर गया है | कौन होगा ? लो, अरे यह तो डॉक्टर विनायक सेन है !

Wednesday, January 5, 2011

फिर निकला बोफोर्स का तोप

यह भी यूपीए सरकार के लिए एक झटका ही है कि बोफोर्स का बंद पड़ा चेपटर एक बार फिर से खुल गया है| इनकम टैक्स अपील ट्रिब्यूनल का कहना है कि बोफोर्स तोप के सौदे में विन चड्ढा को कमिशन मिला था| उस कमीशन पर टैक्स देना होगा| एक समय कांग्रेस इससे हमेशा के लिए पीछा छुड़ाना चाहती थी, लेकिन अब यह फिर से उसके गले पद गया है| इस मामले में सीबीआई के रवैये ने हमेशा ही कांग्रेस सरकारों को संदेह के घेरेमे खड़ा किया| जाँच में अब ताज भले ही कुछ ठोस हासिल न हो पाया हो और अदालत से पूर्व प्रधानमंत्री स्व.राजीव गाँधी क्लीन चिट भी मिल चुकी हो लेकिन आम आदमी में अब भी यह धरना बनी हुई है कि बोफोर्स घोटाले में कांग्रेस ने भ्रष्टाचारियों को बचाया| उस घोटाले के इतने वर्षो बाद भी कांग्रेस के किसी मंत्री के भ्रष्टाचार की कोई घटना जब सामने आती है लोगो के मन में बोफोर्स किसी न किसी रूप उठ खड़ा होता है| यह कांग्रेसी कल्चर का एक सिम्बल जैसा बन गया है | जो जनता की नजर में कभी कमजोर तो कभी मजबूत हो जाता है| आज जब कॉमनवेल्थ गेम्स, आदर्श सोसाइटी और २-जी स्पेक्ट्रम घोटाले का शोर शराबा है, फिर से बोफोर्स मामले की आहात राष्ट्रमंडल खेलों के सफल आयोजन और ओबामा की भारत यात्रा की उपलब्धियों पर पानी फिरने के लिए काफी है| कांग्रेस को अतीत से चली आई अपनी पुरानी छवि से उबरना होगा जिस तरह इमरजंसी को लेकर उसने अपना स्टैंड साफ करके अपने उपर से अतीत का एक बोझ उतार फेका है, उसी तरह उसे करप्शन का दाग भी धोना होगा| इस के लिए उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ सखन अभियान चलाना होगा| बोफोर्स के जिन्न का बोतल से बाहर आना अपोजीशन के लिए किसी तोहफे से काम नहीं है| बी.जे.पी. ने इस मामलें की फिर से जाँच किये जाने की मांग की है और कहा है कि इस बार इस कि जाँच स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम से करवाई जाए| २-जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जे.पी.सी. से जाँच करे जाने की मांग पर अड़ी बी.जे.पी. को शायद यद् होगा कि बोफोर्स मामलें कि जाँच भी जे.पी.सी. से हुए थी और उसका कोई नतीजा नहीं निकला था| अब स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम से जाँच करवा लेने से कोई नतीजा निकल आएगा, इसकी भी क्या गारंटी है?
लेकिन इस आधार पर किसी मामलें से मुंह नहीं फेरा जा सकता कि अब तक इसमें से कुछ नहीं निकला है या निकलने की संभावना नहीं है| इंसाफ के लिए गूंजाइस हमेश रहनी चाहिए| लेकिन ऐसा तभी संभव है जब न्याय की मांग करने वालो की भी मंशा साफ हो| करपसन के खिलाफ अभियान में सियासत होनी चाहिए |  

Tuesday, January 4, 2011

सस्ता प्याज

प्याज की दरों में कमी न आने के बाद अब दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा आयातित ३०० मीट्रिक तन और प्याज दिल्ली में बेचने का फैसला किया है| उम्मीद की जा रही है कि यह प्याज इसी हफ्ते दिल्ली में मदर देरी, केन्द्रीय भंडार और नेफैड के आउटलेट के जरिये बिकना शुरू हो जाएगा| अब तक इन जगहों से ४० रूपये किलों प्याज बेचा जा रहा है, लेकिन अब और प्याज आने के बाद उम्मीद की जा रही है कि इसकी दर 36 से ३७ रूपये किलो होगी|
प्याज की दरों को लेकर सोमबार को कैबिनेट की मीटिंग में भी लंबी चर्चा हुई| इसी दौरान केबिनेट को जानकारी दी गई कि केंद्र सरकार दिल्ली को ३०० मैट्रिक तन और प्याज मुहैया करने का फैसला किया है| यह प्याज आयत किया जा रहा है और ७ जनवरी को दिल्ली की आजादपुर मंडी में पहुँच जाएगा| इसके बाद उसी दिन या उससे अगले दिन से यह प्याज मदर डेरी समेत उन सभी आउटलेट पर यह प्याज बिकने लगेगा, जहाँ इससे पहले प्याज बेचा जा रहा है| दिल्ली सरकार के मुताबिक, आजादपुर मंडी में पहुँचने पर इस प्याज की लागत लगभग ३३ रूपये किलो होगी| इसके बाद आउटलेट तक पहुँचने के लिए ढुलाई का खर्च अलग होगा| दिल्ली सरकार का अनुमान है कि यह प्याज ३६ से ३७ रूपये किलो तक पब्लिक में बेचे जाने की उम्मीद है| यह प्याज उन सभी मदर डेरी, केन्द्रीय भंडार, नैफेड और एनसीसीएफ के आउटलेट पर बेचा जाएगा, जहाँ पहले से बेचा जा रहा है| इन सभी एजेंसियों के आउटलेट की संख्या ३०० से भी ज्यादा है| सरकार का मानना है कि इस प्याज के आने के बाद दिल्ली के रिटेल मार्किट में प्याज की कीमतों में कमी आएगी| 
काश ऐसा ही हो जैसा दिल्ली की सरकार का मानना है दिल्ली के लोगों को कुछ तो राहत मिले इस डायन महंगाई से|  

Monday, January 3, 2011

थानों का मेकओवर चाहतें हैं पुलिस कमिशनर

नए पुलिस कमिशनर बी.के. गुप्ता की नजर सिर्फ पुलिसकर्मियों व् अफसरों की परफोर्मेंस पर ही नहीं बल्कि थानों के मेकओवर पर भी है| पुलिस कमिशनर चाहते हैं की थानों के बाहर कई सालों से टूटी-फूटी गाड़ियाँ खड़ी हैं, जिनका अब कोई काम नहीं है| उनकी वजह से थानों के बाहर का माहौल किसी जंकयार्ड की तरह नजर आता है| उन्हें महसूस होता है कि थानों के अन्दर बाहर और आसपास सफाई कि सख्त जरूरत है| इसकिये थानों के बाहर इस तरह की जितनी भी खाड़ियाँ खड़ी है और जो लगभग सड़ चुकी हैं, उन्हें वहां से हटाकर दूसरी जगह ले जाया जाएगा| इन सभी गाड़ियों को रेंज वाइज एक ही जगह पर शिफ्ट किया जाएगा यानी पुलिस की एक रेंज में जितने भी पुलिस थाने हैं उनके बाहर खड़ी इस तरह की तमाम पुराणी और टूटी-फूटी गाड़ियों को एक ही जगह शिफ्ट किया जाएगा| वो कहते हैं कि इन गाड़ियों को ऐसे ही ले जाकर नहीं छोड़ दिया जाएगा बल्कि वहां सुरक्षा के लिए बाकायदा कुछ गार्ड भी तैनात किए जाएँगे ताकि उनकी चोरी न हो| सिर्फ केस प्रोपर्टी वाली गाड़ियों को ही थानों में रहने दिया जाएगा, लेकिन अब उनके रखरखाव का अलग से ध्यान रखा जाएगा|
उनका मानना है कि थानों के बाहर कबाड़ में खड़ी पुराणी गाड़ियों में बरसात का पानी भरने की वजह से मच्छर भी पलतें हैं, जिनकी वजह से थानों में काम करने वाले पुलिसकर्मियों और आसपास रहने वालों को कई तरह की बीमारियाँ होने का डर बना रहता है| हल ही में जब दिल्ली में डेंगू का कहर अपने चरम पर था, उस वक्त एमसीडी ने भी पुलिस के समक्ष यह मुद्दा उठाया था| अब नए पुलिस कमिशनर ने इस दिशा में पहलकर दी है| पुलिस कमिशनर इस मामले में कितने संजीदा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके आने के बाद से पुलिस मुख्यालय में भी सफाई पर पहले से ज्यादा जोर दिया जाने लगा है| इतना ही नहीं पुलिस मुख्यालय में जितनी भी जगह पर ट्यूब लाइट खराब पड़ी थीं, उन्हें भी बदला जा रहा है और मुख्यालय के जिन कोनों में अँधेरा पसरा रहता था, वहां नई लाइट्स लगे जा रही हैं|
कमिशनर जी साफ-सफाई कि बात ठीक ह पर उनका क्या होगा जो अपना काम ही ठीक से नहीं करतें हैं, वो केसे बदलेंगे उन्हें भी जल्द ठीक कर दे तो सही रूप में दिल्ली की सुरत बदलेगी| पुरानी गाड़ियों की रखवाली के लिए तो आप गार्ड लगा रहे है हमारी देख भाल के लिए भी कुछ गार्ड बढ़ा देते तो दिल्ली के लोगों का भी कुछ भला हो जाता|

Sunday, January 2, 2011

धोखे से किया फ़्लैट अपने नाम

दिल्ली में सक्रिय दलालों ने ऐसा कारनामा कर दिया कि जो फ़्लैट का असली मालिक है वह अपना ही फ़्लैट पाने के लिए परेशान है और वह फ़्लैट किसी और ही के नाम पर फ्रीहोल्ड हो चुका है| डीडीए अधिकारीयों ने अब इसकी जाँच का आश्वासन दिया है| सावन नगर की एक महिला प्रेमा देवी डीडीए मुख्यालय के चक्कर लगा लगा कर परेशान है| माता-पिता की मौत के बाद उनका फ़्लैट प्रेमा के नाम पर फ्रीहोल्ड होना था लेकिन इन्हें पता भी नहीं चला और फ़्लैट किसी और के नाम पर फ्रीहोल्ड हो चुका है|
सावन नगर निवासी जमना दास को ३० जून १९८३ को जीटीवी एनक्लेव में डीडीए से एक जनता फ़्लैट आवंटित हुआ था| २१ जुलाई १९८४ को जमना दास ने यह फ़्लैट गुलशन कुमार को बेच दिया| ३० दिसंबर १९८५ को गुलशन कुमार से यह फ़्लैट शांति देवी ने खरीद लिया| शांति देवी के पति का देहांत १९९६ में हो गया और २१ दिसंबर २००५ को शांति देवी का भी निधन हो गया| इनकी मौत के बाद यह फ़्लैट उनकी बेटी प्रेमा देवी के नाम होना चाहिए था| लेकिन डीडीए में सक्रिय दलालों की बदौलत फर्जी कागजात के आधार पर फ्री होल्ड हो गया है| अब प्रेमा देवी डीडीए मुख्यालय के चक्कर लगा रही है| यह मामला डीडीए उपाध्यक्ष तक पहुच गया है और अब इसकी जाँच शुरू की गई है| जाँच कर रहे डीडीए हाउसिंग विभाग के अधिकरियों ने प्रेमा देवी को भरोसा दिलाया है कि जल्द ही उन्हें इंसाफ मिलेगा|
हमारी तो यही प्रार्थना है कि प्रेमा देवी को जल्द ही इंसाफ मिल जाए पर इस पर इतनी आसानी से यकीं करना जरा मुश्किल हो रहा है कि डीडीए अधिकारी इस मामले को जज्द सुलझा देगे क्योकि ये सब एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं|