Saturday, January 8, 2011

खुद अपनी आँख से

उस दिन मैं राजीव चौक स्टेसन पर मेट्रो का इंतजार कर रहा था | तभी नजर पड़ी एक युवा जोड़े पर | मेट्रो का पहला कोच महिलाओं के लिए आरक्षित हैं | वह जोड़ा वहीँ पर खड़ा था | गार्ड लड़के से वहां से निकलने के लिए कह रहा था | मगर लड़की उसे वहां से जाने नहीं दे रही थी | गार्ड खिसियानी हंसी के साथ उनसे गुजारिश कर रहा था, मगर लड़की लगातार उससे बहस किये जा रही थी | आसपास खड़ी महिलाएं देख रहीं थीं | मगर कोई कुछ बोल नहीं रही थीं | मैंने उनसे पूछा - क्या बात हैं ? लड़की थोड़ी हैरान हुई, मगर कुछ नहीं बोली | गार्ड ने कहा - सर, मैं इनसे कह रहा हूं की यह कोच केवल महिलाओं का है | यह अपने साथ इस लड़के को उस कोच में ले जाना चाहती हैं | मैंने लड़की से कहा- जब यह आपको कह रहा है कि यह कोच केवल महिलाओं के लिए है तो आप क्यों नहीं इसकी बात मानती | लड़की ने जवाब दिया- आप अपना काम कीजिये | मैंने कहा- काम तो करूंगा, मगर यह भी बता दूँ कि आप गलत कर रहीं हैं ? लड़की बोली- क्या गलत है ? मैंने कहा- यह कोच महिलाओं का है, आप किसी पुरुष को उसमें ले जाना चाहती हैं | लड़की ने तपाक से कहा- यह मेरा बॉयफ्रेंड है | जब किसी और को ऐतराज नहीं है, तो आप क्यों बीच में पड़ रहे हैं | मैंने कहा- नियम-कानून भी तो कोई चीज है | अब लड़की का पारा चढ़ गया | बोली- इतनी बातें कह रहे हैं, आप है कौन ? मैंने कहा मै पत्रकार  हूं | अपना फर्ज समझकर आपको समझा रहा हूं | सरकार ने आपकी हिफाजत के लिए ही यह नियम बनाया है आपको उसका पालन काना चाहिए | लड़की ने कहा- यह तो बस मेरे साथ कोच में खड़ा रहेगा | मैंने कहा- अगर आप जैसी २० से ३० पर्सेंट लड़कियां भी अपने बॉयफ्रेंड को बातचीत के लिए महिलाओं के कोच में ले जाना शुरू कर दें तो फिर उस कोच का ओचित्य क्या रह जाएगा | तभी एक पुलिस वाला आ गया | मैंने उसे सारी बातें बताई| उसने लड़की से कहा- अपने बॉयफ्रेंड के साथ जाना है, तो जनरल कोच में चली जाओ, जी भर के बातें करना कौन रोकता है | काहे झमेला कर रही है ? तब लड़का-लड़की वहां से चल दिए | जाते-जाते लड़की अंग्रेजी में यह कहना नहीं भूली- छोटी मानसिकता है इनकी पता नहीं कब कब सुधरेंगे ? जाते-जाते पुलिस वाले ने एक बड़ी बात कही कि बुरा मत मानिये, चाहे कानून तोड़ने की बात हो या भ्रष्टाचार की, सबकी शुरुआत आम आदमी से होती है | अगर मैं इस लड़की को कानून तोड़ने के लिए गिरफ्तार कर लेता तो इसके घर वाले किसी अफसर या बड़े नेता से फोन करवा देते और मुझे छोड़ना पड़ता, बदनाम हम हो जाते | अगर आम आदमी सुधर जाए तो सब कुछ सुधर जाएगा | हम पहले सिस्टम से सुविधाओं की मांग करते हैं फिर उन्हीं का गलत इस्तेमाल करते हैं | उस लड़की ने समाज से यही मानसिकता ली है |   

2 comments:

  1. bhut hi jayeda acha likha h apne..agar sab apne aap ko hi thk rakhe or kanoon ka palan kre toh desh m kafi sudhar aa sakta hai.....

    ReplyDelete
  2. Ye hamari morden city ki den hai ki sahi bat karne wale ko log sankrin mansikta wala kah dete hai agar yahi bat hai to kyu ye ladkiya rejerv compartment ki bat karti hai shi kahte hai ek machali pure talab ko ganda kar deti hai

    ReplyDelete