Friday, December 31, 2010

प्रोपर्टी डीलरों का गढ़ है यमुनापार


दिल्ली का यमुनापार इलाका प्रोपर्टी डीलरों का गढ़ है| यहाँ करीब ३० हजार प्रोपर्टी डीलर हैं| प्रोपर्टी डीलरों का नेटवर्क एमसीडी के भ्रष्ट अफसरों और पुलिस की मिली भगत से पनपा है| इस इलाके के प्रोपर्टी डीलर किसी भी संकरी गली में रातों रात चार से लेकर पांच मंजिल इमारत बना कर कड़ी कर देते है| उसे दुसरे प्रदेशों से विस्थापित होकर आए लोगों को बेच देते हैं| यमुनापार में प्रोपर्टी डीलरों के नेटवर्क ने ही जमीन के दम इतने बढ़ा दिए हैं कि कोई साधारण आदमी वहां जमीन खरीदने की सोच भी नहीं सकता| पुलिस विभाग के सूत्रों की मानें, तो ज्यादातर प्रोपर्टी डीलर अपराधी प्रवृति के हैं| जो इस इलाकें के नेताओं और एमसीडी के भ्रष्ट अफसरों के लिए काम करतें हैं| पुलिस अधिकारिओं का कहना है कि अवैध निर्माणों की शिकायत पर अगर प्रोपर्टी डीलरों के खिलाफ कार्यवाई की जाती है, तो नेता और एमसीडी के अफसर कार्यवाई नहीं करने देते हैं| यमुनापार के इलाके में प्रोपर्टी डीलरों का खौफ इतना है कि इस इलाके में रहने वाले ज्यादातर मकान मालिक बिना उनके कमीशन के अपने घरों में किराएदार भी नहीं रख सकते| इस इलाके में प्रोपर्टी डीलर जिस दल की सरकार होती है, उसी दल के नेता का दामन थाम लेते हैं और उसे सामूहिक रूप से बड़ी दक्षिण भी प्रदान करतें है| पुलिस के छोटे बड्डे अधिकारी भी प्रोपर्टी डीलरों के माध्यम से अपने बेटे-बेटियों की शादी के इंतजाम करवाते हैं, यह सबसे बड़ा सवाल है|
   

Thursday, December 30, 2010

और कितने ललिता पार्क हादसे देखने को मिलेंगे

क्या हादसे होने के बाद ही सरकारी एजेंसियां जगती हैं? लक्ष्मी नगर के ललिता पार्क में हुए हादसे के बाद यह बात और भी पुख्ता होती है| पहाड़गंज और दरियागंज समेत दिल्ली के कई इलाकों में नियमों को ताक में रखकर अवैध फैक्ट्रियां चलाई जा रही है| यह कायदे कानून का उल्लंघन तो है ही, साथ ही आसपास के लोगों के लिए भी बड़ा खतरा है| इन फैक्ट्रियों की वजह से आग लगने का खतरा बना हुआ है| हालाँकि इस ओर बार बार आगाह किए जाने के बावजूद कोई धयान नही दिया जा रहा है| बिजली कंपनी  भी इन अवैध फैक्ट्रियों की बिजली चोरी पर लगाम नहीं लगा प् रही है|
पहाड़गंज और दरियागंज इलाकों में जिन अवैध फैक्ट्रियों को सिल कर दिया गया था, वे अब भी चोरी छिपे चल रही हैं| इनसे जहाँ हर महीने करोड़ों रुपयों की बिजली चोरी हो रही है, वहीं कई इलाके भी खतरे में है| इनकी वजह से बार बार शोर्ट सर्किल और स्पार्किंग होना आम बात हो गई है|  

Wednesday, December 29, 2010

खोटालों का बिग बॉस

देश की राजनीति में इससे बड़ा कलंक kya होगा कि एक मंत्री ने अपने पद का दुरुप्रयोग करके देश को अरबों रूपए कि चपत लगा दी| ए. राजा को २ जी स्पेक्ट्रम मामलें में सीधे तौर पर नाम आने के बाद संचार मंत्री का पद छोड़ना पड़ा| ए. राजा ने न केवल आजादी के बाद देश में सबसे बड़े खोटालें को अंजाम दिया, बल्कि बड़ी ढिठाई से कहते रहे कि वह पाक साफ हैं| यूपीए सरकार के दुसरे कार्यकाल में ए. राजा ने संचार मंत्रालय पाने के लिए अपने पक्ष में खूब लोबिंग करवाई थी| उन्हें पता था के देश का भविष्य जिस महकमे पर सबसे ज्यादा निर्भर है, अगर उसकी कमान मिल गई  तो बल्ले बल्ले| हुआ भी कुछ ऐसा ही| राजा को संचार मंत्रालय मिल गया| बस, यहीं से उन्होंने मनमाने ढंग से देश में संचार सेवाएँ उप्लाब्थ करने वाली कंपनीयों को काम सौंप दिया| इस खोटालें में देश को १.७६ लाख करोड़ रुपये कि चपत लगी| २ जी स्पेक्ट्रम खोटाले की यह रकम देश के रक्षा बजट के बराबर है| इतना ही नही गोवा, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, ओर हिमाचल प्रदेश की विकास योजनाओं का वार्षिक बजट भी इतना नहीं होता है| राजा का ताज फ़िलहाल छीन गया है| २ जी स्पेक्ट्रम मामलें में सीबीआई ने अदालत में केस फाइल कर रखा है| देश में खर्चें ओर आमदनी की पाई पाई का हिसाब रखने वाली सीएजी ने भी माना कि ए. राजा कि रहनुमाई वाले संचार मंत्रालय ने नियम, कायदे कानूनों की धज्जियां उडातें हुए देश की गरीब जनता के साथ छल किया है| अफ़सोस तो यह है कि ए. राजा जैसे राजनेताओं की देश में कमी नहीं है| वह दक्षिण  से लेकर उत्तर तक और पूरब से लेकर पश्चिम तक फैले हैं|  न जाने आगे इससे भी बड़ा देखने को मिल सकता है| आखिर अनोख देश है हमारा....

Tuesday, December 28, 2010

राजधानी में बनेंगे ११ बल कोर्ट

राजधानी में बनेंगे ११ बल कोर्ट
कितने इंसाफ हो पाएगें देखना है राजधानी देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जहाँ बल अधिकार अधिनियम २००५ के तहत ११ बल न्यायालय घोषित किये गए है दिल्ली हाइकोर्ट ने अधिनियम के तहत सभी ११ जिलों में एक एक बल न्यायालय की स्थापना की घोषणा की है ये न्यायालय दिल्ली में बच्चों के साथ होने वाले उन सभी मामलों की सुनवाई करेंगे, जिनमे वे या तो अपराध के शिकार हुए है या फिर गवाह हैं|
 दिल्ली बल अधिकार संरक्षण आयोग डीसीपीआर के अध्यक्ष आमोद कंठ ने कहा की आयोग ने इस मामले में पहल की ओर हाईकोर्ट की सकारात्मक भूमिका की वजह से यह संभव हो सका है|
 मेरे ख्याल से आप सब को ख्याल होगा की बल अधिकार अधिनियम के प्रावधान के अनुसार सभी जिलों में बल अपराधो की सुनवाई के लिए विशेष न्यायालय होने चाहिए| हाईकोर्ट ने बच्चों से संबंधित मामले होने की वजह से इसकी संवेदनशीलता को देखते हुए दिल्ली के हर जिले में वरिष्ठतम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश को इस कार्य की जिम्मेदारी सोंपी है| वेसे बाल अधिकार सुरक्षा आयोग देश के नौ राज्यों में है, लेकिन दिल्ली ने इस मामले में  पहले से ही दो बाल न्यायालय ओर चार बाल कल्याण कोर्ट है|
 इतना होने के बाद भी दिल्ली में बाल मजदूरी कहीं भी देखि जा सकती है लगभग हर दुकान में एक न एक बाल मजदूर आपको दियाई दे जाएगा क्या फायदा होगा इन न्यायालयों का जो एक राज्य में ११ हो तभी बाल मजदूरी नहीं रोक सकती है ये तो उन लोगो के वेतन के लिए खोले जा रहें है जो अभी खली बेठे सरकार की रोटियां खा रहें है तो सरकार ने सोचा इन्हें कुछ तो काम दिया जाए...

मेजबान ही गायब रही

बराक ओबामा दिल्ली आए भी और चले भी गए वे एक सवाल जरुर अपने पीछे छोड़ गए के आखिर दिल्ली की मुख्यमंत्री शिला दीक्षित से इसी कोण सी खता हो गई की उन्हें ओबामा से दूर रखा गया?
अमेरिका के राष्ट्रपति अपनी भारत यात्रा के दोरान सरकारी काम के आलावा भारत के स्वागत की खुलकर तारीफ की और उन्होने भारत के लोगों से मिलकर अपनापन महसूस किया भारत के राजनेताओं में से कुछ इसे भी महत्वपूर्ण लोग थे जिन्हें या तो बराक से मिलने से परहेज था या उन्हें किन्हीं कारणों के चलते बराक से मिलने ही नही दिया? इसे लोगों में से एक थी दिलकी की मुख्मंत्री शिला दीक्षित| इसका कारण क्या था ये तो मुझे मालूम नही पर हाँ एक कारण में बताना जरुर चाहूगां वो है कोमंवेल्थ... यदि शिला दीक्षित पर कोमंवेल्थ गेम्स को लेकर भ्रष्टाचार के आरोपों को नजर में रखकर देखतें है, तो इसे तो मुंबई में मुंबई के मुख्मंत्री अशोक चौव्हान को भी  मिलने नहीं देना चाहिए था मुझे तो लगता है ये सब एक रणनीति के साथ हुआ है| शिला दीक्षित को उनके घर में ही नही घुसने दिया चलो स्वागत में वह नहीं थी एक बार को यह बर्दाश्त किया जा सकता है लेकिन वह तो बराक के पुरे कार्यक्रमों से ही नदारद रहीं बराक दिल्ली में हुमायूं  का मकबरा देखने और महात्मा गाँधी की समाधि पर फुल चढ़ाए दोनों स्थलों पर शिला दीक्षित नहीं थी| दिल्ली में बराक आए लेकिन शिला दीक्षित  के लिए बराक दिल्ली में नहीं आए क्यों की जब उन्होंने मुख्मंत्री की हेसियत से उसका स्वागत नही किया तो उनकी ओर से आए भी न आए भी बात बराबर है|
आखिर में कहूँ गा की ओबामा जिस दिल्ली में आए थे उस दिल्ली के तख़्त पर बेठी मुख्मंत्री शिला दीक्षित को इतना  भी मोका नहीं दिया गया की  वह दिल्ली में आए मेहमान का स्वागत कर सकें| आखिर क्यूँ?   

Sunday, December 26, 2010

किन्नरों को पेंशन

राजधानी के किन्नरों को भी अब विशेष सम्मान मिलेगा एमसीडी ने उन्हें पेंसन के रूप में हर महीने एक हजार रुपये नकद राशि देने का निर्णय लिया है राजधानी दिल्ली अब देश का ऐसा पहला राज्य है जहाँ किन्नरों का तोहफा मिला है एमसीडी का मानना है की उम्र के एक पड़ाव के बाद किन्नरों की हालत काफी दयनीय हो जाती है इसलिय यह निर्णय उनके जीवन में कुछ सुधर लायेगा किन्नरों को पेंसन देने के लिए एमसीडी ने आधिकारिक सर्कुलर जरी कर दिया है जिसके अनुसार दिल्ली में रहने वाले १८ साल से ज्यादा की उम्र के किन्नर पेंसन के हकदार होंगे पेंसन पाने के लिए उन्हें किन्नर होने का मेडिकल सर्टिफिकेट देना होगा साथ ही जन्मतिथि का कोई भी प्रमाण दिखाना होगा इसके बाद उनके इलाके के एनसीडी जोन से उन्हें हर महीने पेंसन मिलनी शुरू हो जाएगी उन्हें परेशानी से बचने के लिए यह व्यवस्था भी रखी गई की स्थानीय पार्षद की सामान्य संस्तुति के बाद वे पेंसन पाने के हकदार होंगे लेकिन शर्त यह की किन्नर शादीशुदा नहीं होना चाहिए   

Saturday, December 25, 2010

पुस्तक मेला जहाँ लगा किताबो का रेला

सनिवार को प्रगति मैदान में दिल्ली पुस्तक मेला शुरू हो रहा है, जहाँ तमाम विषयों की किताबों के  अलावा नई नई सीडी और स्टेशनरी भी मिलेगीं आप इस मेले को सिर्फ उबाऊ किताबों का मेला न समझिए,, वहां जाकर आप जिन्दगी का सबक सिख सकते है क्या बड़े, क्या छोटे, पुसत्कों की यह दुनिया तो हर किसी को लुभाती है चाचा चौधरी और साबू की कॉमिक्स समेत तमाम कॉमिक्स की पुस्तकों से लेकर चंदा मामा को चाँद बना देने वाले विज्ञानं की गाथा वाली पुस्तकें, यहाँ बच्चे-बड़े हर किसी के लिए एक से बढ़कर एक पुस्तकें जो होतीं हैं मेले में हर रोज अनेक विशेष कार्यक्रमों का भी आयोजन होगा ताकि  आप पुस्तकों की दुनिया के बारे में अपनी जानकारी में बढ़ोतरी कर सकें कहीं पुस्तक विमोचन, तो कहीं शेमिनर, तो कहीं गाँव की पुस्तकें की दुनिया पर कार्यक्रम यहाँ आप कहीं कविता पाठ, कहीं तोपर्स की सफलता के राज पर आधारित कार्यक्रम में उनकी सफलता के राज जन सकतें हैं. 

Monday, December 20, 2010

क्या बदलेंगे दिल्ली वाले

कोम्मन्वेअल्थ खेलो ने कुछ दिनों के लिए तो बदल ही दिया था दिल्ली को पर ये कब तक. कुछ कहा नही जा सकता कानून वयवस्था, दिल्लीवालो के दिल में अतिथि देवो भवह की भावना, हर तरफ साफ़ सफाई, ट्राफिक के नियमो का पालन, सब कुछ टाइम पर क्या हम हमेशा ऐसे नही रह सकते यार हम दिल्ली वाले है हम सिखाऐगे लोगो को बदलना वी  आर देल्हिदारेदेविल्स है न